इतिहास

आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के स्थापना के तार ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ जुड़े हुए हैं तथा यह विश्वविद्यालय ब्रह्माकुमारी संस्था के समानांतर/पैरलल कार्य कर रहा है। परमपिता परमात्मा शिव ने इस विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज (उर्फ ब्रह्मा) द्वारा 1951 से 1969 जन. तक माउण्ट आबू (राजस्थान) से ईश्वरीय ज्ञान सुनाया, जो कि ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा प्रमाणिक रूप से ज्ञान-मुरलियों के रूप में प्रकाशित किया जाता रहा है। यही ज्ञान-मुरलियाँ और अव्‍यक्‍त ब्रह्मा की बी.के. गुलज़ार मोहिनी द्वारा चलाई गईं अव्‍यक्‍त-वाणियाँ ही हमारा ईश्वरीय संविधान और प्रूफ-प्रमाण हैं। यही हमारे प्रत्येक संकल्प, वाणी और कर्म का आधार है। ब्रह्माकुमारी संस्था की अपनी मान्यता है कि 18 जनवरी, 1969 में दादा लेखराज के देहावसान के पश्चात् निराकार परमपिता शिव वापस अपने धाम-परमधाम चले गए हैं और हर वर्ष पूर्वनिर्धारित दिनों एवं समय पर बी.के. गुलज़ार में प्रवेश कर माउंट आबू में ज्ञान सुनाते हैं, जो कि ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा अव्यक्त-वाणियों के रूप में हर वर्ष प्रकाशित किया जाता है।
इस परिवार की उत्पत्ति सन् 1936 में ‘ओम मंडली’ के नाम से सिन्ध-हैदराबाद में हुई और फिर सन् 1951/52 में इसका नाम ‘ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ पड़ा। आखरीन सन् 1976/77 में ईश्वरीय संविधान के आधार पर इसका नाम ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ पड़ गया। जिसके सम्बन्ध में ब्रह्मा मुख से निकली वेदवाणी/मुरली का ईश्वरीय संविधान इस प्रकार है -
''गॉड फादर को स्प्रिचुअल नॉलेजफुल कहा जाता है। तो तुम ‘स्प्रिचुअल यूनिवर्सिटी’ नाम लिखेंगे, इसमें कोई एतराज़ नहीं उठावेंगे। फिर बोर्ड में भी वह (प्रजापिता ब्रह्माकुमारी) अक्षर हटाकर यह स्प्रिचुअल यूनिवर्सिटी लिख देंगे। ट्राई करके देखो। लिखो ‘गॉड फादरली स्प्रिचुअल यूनिवर्सिटी’। इनकी एम-ऑब्जेक्ट यह है। दिन-प्रतिदिन तुम्हारे म्युज़ियम, चित्रों आदि में भी चेन्ज होती जावेगी। फिर सब (ब्रह्माकुमारी) सेंटर्स पर (भी) लिखना पड़ेगा- ‘गॉड फादरली स्प्रिचुअल यूनिवर्सिटी।''
(मुरली तारीख - 20.3.74 पृ.4 अंत)
ब्रह्माकुमारी संस्था में हमें बेसिक ज्ञान यानी आत्मा और परमात्मा के ज्योतिर्बिंदु रूप का ज्ञान मिला और आ.वि.वि. में हमें बेसिक ज्ञान के साथ-2 आत्मा का ऊँचा (एडवांस) ज्ञान अर्थात् आत्माओं के अनेक जन्मों की जानकारी तथा परमपिता परमात्‍मा शिव के प्रैक्टिकल नाम, रूप, देश, काल और उनके दिव्य कर्तव्यों का भी ज्ञान मिलता है। आ.वि.वि. के 80% जिज्ञासु पहले ब्रह्माकुमारी संस्था के ही सदस्य थे और उनकी बेसिक पढ़ाई पूरी होने पर आ.वि.वि. से जुड़ गए।


Copyright © 2023 by AIVV All rights reserved.