बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित

बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षितजी पर आज तक एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है; फिर भी लगातार उनको आरोपों के तहत कटघरे में खड़ा किया है।

(नोटबाबाजी और आध्यात्मिक विश्वविद्यालय को लगभग 29 क्लीन चिट मिल चुकी हैं )
1998

Attack in Kampila Center

10 षड्यंत्रकारी  -1. दशरथ . पटेल (मुखिया)   2. दिल्ली के अशोक पाहुजा, सहयोगी रविश सक्सेना के साथ 3. उत्तर प्रदेश के राम प्रताप सिंह चौहान खुर्जा 4. कलकत्ता के चतुर्भुज अग्रवाल 5. दिल्ली की जया भारद्वाज 6.नारनौल-हरियाणा की रेणुका 7. मथुरा की तारा देवी 8. गुजरात की मीना कुमारी 9. मुजफ्फरनगर के कैलाशचन्द्र और 10. अग्र आयुध के रूप में इस्तेमाल किया गया कलकत्ता के प्राण गोपाल बर्मन को

पुलिस
अधिकारियों ने अचानक ही दिनांक 16-4-1998 को, देश के अनेक राज्यों से आई हुई कन्याओं-माताओं से भरे-पूरे विद्यालय पर आक्रमण कर दिया अर्थात् विद्यालय द्वारा बिजली बिल अदा करने के बावजूद भी 16-4-1998 को प्रातः 9 बजे बिजली कट कर दी गई और उसी दिन दोपहर को कम्पिल, कायमगंज, शमशाबाद थाने की पुलिस बलों ने ट्रक भर पी.एस.सी. फोर्स लेकर, बिना किसी पूर्व नोटिस दिए बिजली चोरी के झूठे आरोप में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पर छापा मार दिया। सन् 1998 में बाबा की आयु 58 वर्ष थी, फिर भी उनके साथ पुलिस कर्मियों ने इतनी बेरहमी से व्यवहार किया कि कोई भी व्यक्ति अगर पत्थर दिल का बना हो तो इस दृश्य को देख कर बिना आँसू बहाए नहीं रह सकता। निर्दोष बाबा को आततायियों की भाँति घर से बाहर खींच-2 कर लेकर गए। इतना ही नहीं जब पुलिस वालों ने बाबा को सड़क किनारे वाले नाले में निर्दयतापूर्वक घसीटा तब बाबा का पैर नाले में गिर गया, बाबा का पजामा भी निकल गया। फिर भी ऐसी ही अवस्था में बाबा को घसीटते रहे और खींचकर जीप में डाल दिए। वयोवृद्ध बाबा की इतनी बेइज़्ज़ती कर उन्हें साथ लेकर गए। पशुओं के साथ भी इतनी बेरहमी से व्यवहार नहीं किया जाता होगा। षड़यंत्रकारियों ने बाबा को जान से मारने के लिए उस टाइगर नाम के गुण्डे को 70 हज़ार की सुपारी भी दी थी। उस रात टाइगर बाबा को मारने ही वाला था; लेकिन उसी दिन पुलिस अधिकारी ने बाबा को अन्दर की बैरक में डाल दिया और इस प्रकार टाइगर बाबा को मारने में असफल हो गया।


लेकिन विरोधी दल जानते थे कि सिर्फ़ बिजली चोरी केस से काम नहीं बन सकेगा, इसलिए बिजली चोरी और पुलिस मारपीट का केस लगा कर बाबा को कम्पिल थाने की हवालात में डाल दिया और साथ ही साथ बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित जी के ऊपर रेप केस भी लगा दिए | ताकि बाबा जीवन भर जेल में ही सड़ते रहें ; लेकिन उन परिस्थितियों का भी बाबा ने कैसे निडरता से सामना किया और  जेल से बाहर आए


अंततः बेल याचिका सं. 601/98 के उत्तर में माननीय न्यायाधीश बिंद्रा प्रसाद ने कहा – ‘इन परिस्थितियों में बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित द्वारा बिजली की चोरी का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है, अत: याचिकाकर्ता बेल मंजूर करवाने के लिए योग्य है|’




बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित और AIVV पर लगाए गए झूठे केसेस और उनकी न्यायलय द्वारा मिली क्लीन चिट

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