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तत् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनः तत्त्वदर्शिनः॥ 4/34
परमादरपूर्वक, {ज्ञान की} सेवा द्वारा, {व्यक्तिगत साप्ताहिक कोर्स में} प्रश्नोत्तर पूर्वक,उस {रुद्रज्ञानयज्ञ} को {तू} जान ले। {एडवांस सच्चीगीता के} तत्त्वदर्शी {श्रेष्ठ ब्रह्मावत्स}, /ज्ञानीजन• तुझे {साक्षात् ब्रह्मामुखनिसृत वेदवाक्यों के कपिलसांख्य}-ज्ञान का उपदेश करेंगे।