जब तक अंधश्रद्धायुक्त गीता का भगवान कृष्ण मानेंगे तब तक दुनिया का उद्धार नहीं हो सकता है; क्योंकि गीता में ही बोला है कृष्ण गति दुख की ओर ले जाती है। कृष्ण गति में सूर्य भी दक्षिणायन होता है; इसलिए कृष्ण पक्ष को कभी भी शुभ नहीं माना जाता है। कृष्ण पक्ष वो घनी रात है जो संसार में अंधकार कर देती है। उसी प्रकार गीता में कृष्ण नाम डालने से आज सारा संसार ईश्वर के यथार्थ स्वरूप को ना जानकर दुखो के अंधकार में है; इसलिए अर्जुन ने भगवान को कहा-आपके सिवाय मेरे दुख को दूर करने वाला कोई नहीं है; इसलिए भगवद्गीता के ज्ञान का मंथन आवश्यक है- तब ही जान सकेंगे असली गीता ज्ञानदाता कौन है जो सारे संसार के दुखों को हरने वाले हर-2 महादेव कहे जाते हैं; लेकिन वास्तव में भस्म लगाकर शमशान में रहने वाला ऐसा व्यक्तित्व कोई होता नहीं है। साधारण तन में आए भगवान के असाधारण पुरूषार्थ की यादगार ही चित्रों और मूर्तियों में दी है।