गर्वे
''भगवद्गीता पहले एक सांख्य-योग सम्बन्धी ग्रंथ था, जिसमें बाद में कृष्णवासुदेव पूजा पद्धति आ मिली और ई0 पूर्व तीसरी शताब्दी में इसका मेलमिलाप कृष्ण को विष्णु का रूप मानकर वैदिक परम्परा के साथ बिठा दिया गया। मूल रचना ईस्वी पूर्व 200 में लिखी गई थी और इसका वर्तमान रूप ईसा की दूसरी शताब्दी में किसी वेदान्त के अनुयायी द्वारा तैयार किया गया है।''