ज्ञान:-
हमारी जानकारी का स्त्रोत ही है ज्ञान-मुरलियाँ और अव्यक्त वाणियाँ, जिनमें निम्नलिखित विषयों का सम्पूर्ण राज़ भरा हुआ है। साप्ताहिक कोर्स के माध्यम से इन विषयों को समझाया जाता है -
i) मैं कौन हूँ और कहाँ से आया हूँ?
ii) मेरा पिता कौन है, कहाँ का रहने वाला है और कब-कब वा कैसे-2 इस सृष्टि पर अवतरित होता है?
iii) परमपिता परमात्मा शिव के ब्र. वि. शंकर द्वारा तीन मुख्य कर्तव्य क्या हैं और उन तीन कर्तव्यों का वहन वह वर्तमान समय किनके द्वारा व किस प्रकार से कर रहे हैं?
iv) इस सृष्टि का वास्तविक इतिहास और भूगोल क्या है? यह सृष्टि एक रंगमंच है, कैसे? हम आत्माएँ पार्टधारी हैं, कैसे? पार्टधारियों के जन्म, सृष्टि के रचयिता और रचना का आदि-मध्य-अंत (भूत, वर्तमान, भविष्य) क्या है?
v) हमारे जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या है? आने वाली नई दुनिया किस तरह की होगी? नई दुनिया कब और कैसे आएगी और किसके मार्गदर्शन से आएगी? हम अपने-आप को और इस विश्व को पुराने (तमो अर्थात् दु:खी) से नया (सतो अर्थात् सुखी) कैसे बनाते हैं?
vi) इस मनुष्य-सृष्टि रूपी 'अश्वत्थ वृक्ष' का रहस्य क्या है और इसका साकारी सो निराकारी चैतन्य बीज कौन है? विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति का फाउंडेशन कब और कैसे पड़ा? समस्त मनुष्य-सृष्टि के पूर्वज कौन-2 हैं?
vii) हम आत्माएँ मूल स्वरूप में कैसे पवित्र, दिव्य व सुखदायी थीं, फिर कैसे अपवित्र, अनैतिक, अशांत, दु:खदायी बन गईं, फिर कैसे और कब मूल स्वरूप को फिर से प्राप्त करेंगी?