लोभहीनता (प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं लेना चाहा)
इनलेण्ड लेटर में रजिस्टर्ड पोस्ट से 2-3 पत्र कॉपी करके भेज दिए- एक विजयलक्ष्मी (बहन) के यहाँ, एक शुक्ल के यहाँ और एक अपने ही मोहल्ले में पड़ोस में, नेक्से पाण्डे थे। उनको तीन पत्र भेजे। उसमें लिख दिया कि अब हमें लौकिक बाप की कोई प्रॉपर्टी नहीं चाहिए, हमने अलौकिक बाप की गोद ले ली। बहन को बताया- आप मकान को सम्भालिए, या जो कुछ भी बाबा के पास बैंक-बैलेन्स हों, हमें कुछ नहीं चाहिए। दो रोटी मिल रही है तो भी ठीक, अच्छा भोजन मिल रहा है तो भी ठीक; अच्छे कपड़े मिल रहे है तो भी ठीक और लँगोटी मिल जाए तो भी ठीक; घास-फूस का मकान मिल जाए तो भी ठीक, महल मिल जाए तो भी ठीक और वो भी न मिले, तो ‘आकाश ओढ़नी और ज़मीन बिछौना’ तो भी ठीक।