आध्यात्मिकता से लाभ

आध्यात्मिक का अर्थ ही है- अधि+आत्मिक, आत्मा के अंदर की बात को बताने वाला । देह के अंदर की बातें तो मनुष्य भी बता रहे हैं, बड़े-2 वैज्ञानिक बता रहे हैं, डॉक्टर बता रहे हैं; लेकिन आत्मा क्या है और आत्मा के अंदर अनेक जन्मों की कहानी कैसे छुपी हुई है, वो सिवाय भगवान के और कोई नहीं बता सकता । भगवान आकर हमको यह तरीक़ा बताते हैं कि “आत्मिक स्थिति में स्थित होकर रहो”। इससे अखंड शान्ति मिलेगी, अखंड विश्वास पैदा होगा, विलपावर आएगी, स्थिति-परिस्थिति-समस्याओं से मुकाबला करने की ताकत आएगी। ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग के अभ्यास से मन-वचन-कर्म में पवित्रता आती है और पवित्रता ही सुख-शांति की जननी है। जीवन में ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करने से ही मनुष्य चरित्रवान, दैवीगुण सम्पन्न देवता बनता है । गीता में कहा है- “स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।” (गीता 3/35) स्वधर्म में टिकना श्रेष्ठ है ।

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