भगवतगीता के अनुसार

1. यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।(गी. 4/7) अर्थात् जब धर्म की ग्लानि होती है, अधर्म या विधर्म बढ़ता है, तब मैं आता हूँ। धर्म की ग्लानि अर्थात् एकव्यापी भगवान को सर्वव्यापी बता देते हैं। जैन और वैदिक प्रक्रिया के अनुसार कलियुग के अंत में ही धर्म की ग्लानि होती है; क्योंकि कलियुग-अंत तक अनेक धर्म स्थापित हो जाते हैं और सब धर्म चौथे युग की चौथी अवस्था में तमोप्रधान बन जाते हैं; क्योंकि सृष्टि रूपी मकान या वृक्ष की हर चीज चतुर्युगी की तरह सत्त्व प्रधान, सत्त्व सामान्य, रजो और तामसी- इन 4 अवस्थाओं से अवश्य गुज़रती है।


2.  “सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप॥” (गीता 7/27) अर्थात् सब प्राणी कल्पान्त काल/चतुर्युगांत में सम्पूर्ण मूढ़ता को पहुँच जाते हैं।

3. ”अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्।” अर्थात् मूर्ख लोग मानवीय शरीर का आधार लेने वाले मुझ ऊँची स्थिति समान काशी-कैलाशीवासी हीरो की अवज्ञा करते हैं। वो मूर्ख प्राणियों के ईश्वर-समान स्वरूप को जल्दी नहीं पहचान पाते हैं।


शास्त्र अनुसार कलियुगांत में कल्कि अवतार

कलियुग के अंत में भगवान का गायन कलंकीधर के रूप में होता है, तो जरुर उनके ऊपर प्रैक्टिकल में ढेरों कलंक लगते हैं इसलिए तो सभी कलंकों को धारण करने वाले भगवान कलंकीधर कहलाते हैं | जिसने पहचाना भगवान को, उसी ने बनाया भागवत को, और जिसने ना पहचाना भगवान को, उसी ने कलंकीधर बनाया भगवान को।



भविष्यवक्ताओं ने भी कहा


नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक सेंचुरिज  में  भविष्य कथनों का वर्णन किया है |


1.  एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा । (X-75)
2.  इस राजनेता का नाम ‘वरण’ या ‘शरण’ होगा । (सेंचुरी V-27)
3. शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान ‘शायरन’ । उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पायेगा । (V-70)
4. साम्प्रदायिकता और शत्रुता के एक लम्बे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी । (6-10)
5. तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पति वार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा । उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धी, सत्ता और शक्ति बढती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा । (सेंचुरी 1-50 वां सूत्र)  तीन ओर समुद्र से तो भारत ही घिरा हुआ है ।
नास्त्रेदमस की भविष्य वाणियों के ज्ञाता महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. रामचंद्र जोशी ने इस पर एक मराठी में पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक का नाम है – ‘‘21 व्या शतकाकडे झेपावतांना जगातील सर्वश्रेष्ठ भविष्यवेत्ता मायकल द नास्त्रेदमस (नास्त्रेदमस) यांचे जागतिक स्तरावरचे भविष्य’’। इस पुस्तक के पृष्ठ-32-33 पर नास्त्रेदमस की सेंचुरी का हवाला देते हुए लिखते हैं कि- ‘ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है’। महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं, सारी पृथ्वी पर स्वर्णयुग लाएगा और अपने सनातन धर्म का पुनरुत्थान करके यथार्थ सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनाएगा।

कल्कि पुराण :- स्वतंत्रता के बाद भारत में एक ऐसे महापुरुष का उदय होगा, जो वैज्ञानिकों का भी वैज्ञानिक होगा। वह आत्मा और परमात्मा के रहस्य को प्रगट करेगा। आत्मज्ञान उसकी देन होगी। उसकी वेश-भूषा साधारण होगी। उसका स्वास्थ्य बालकों जैसा, योद्धाओं की तरह साहसी, अश्विनी कुमारों की तरह वीर युवा व सुन्दर, शास्त्रों का प्रकाण्ड पण्डित व मानवतावादी होगा।

एण्डरसन(अमेरिका):- अरब राष्ट्रों सहित मुस्लिम बहुल राज्यों में आपसी क्रांतियाँ और भीषण रक्तपात होंगे। इस बीच भारतवर्ष में जन्मे महापुरुष का प्रभाव व प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यह व्यक्ति इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मसीहा होगा। वह एक मानवीय संविधान का निर्माण करेगा, जिसमें सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्यायपालिका, एक झण्डे की रूप-रेखा होगी।

ग्रेरार्ड क्राईसे (हॉलैंड):- भारत देश में एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ है, जो विश्व कल्याण की योजनाएँ बनाएगा।

जूलबर्ण:- संसार के सबसे समर्थ व्यक्ति का अवतरण हो चुका है। वह सारी दुनिया को बदल देगा। उसकी आध्यात्मिक क्रांति सारे विश्व में छा जाएगी।...... एक ओर संघर्ष होंगे, दूसरी ओर एक नई धार्मिक क्रांति उठ खड़ी होगी जो आत्मा और परमात्मा के नए-2 रहस्य को प्रगट करेगी। .....वह महापुरुष 1962 से पूर्व जन्म ले चुका है। उसके अनुयायी एक समर्थ संस्था के रूप में प्रगट होंगे और धीरे-2 सारे विश्व में अपना प्रभाव जमा लेंगे। असंभव दिखने वाले कार्य को भी वे लोग उस महापुरुष की कृपा से बड़ी सरलता से संपन्न करेंगे।

प्रोफेसर कीरो:- भारत का अभ्युदय एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में हो जाएगा; पर उसके लिए उसे बहुत कठोर संघर्ष करने पड़ेंगे। देखने में यह स्थिति अत्यंत कष्टदायक होगी; पर इस देश में एक फरिश्ता आएगा जो हज़ारों छोटे-2 लोगों को इकट्ठा करके उनमें इतनी आध्यात्मिक शक्ति भर देगा कि वे लोग बड़े-2 बुद्धिजीवियों की मान्यता मिथ्या सिद्ध कर देंगे।



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