4. चारों ओर अपराध और रक्तपात का बोलबाला हो जाएगा। हिंसा में लोगों का मन ज़्यादा लगेगा। अधर्म-ही-अधर्म चारों ओर फैल जाएगा और जो धर्म में तत्पर होगा, उसके समक्ष कठिनाइयाँ-ही-कठिनाइयाँ खड़ी हो जाएँगी, उसका जीवन अत्यंत कठिन हो जाएगा। धर्म तो कहीं टिकेगा ही नहीं, धर्म का बल घट जाएगा और अधर्म बलवान हो जाएगा।