मुकर्रर रथ कौन ?

ब्रह्मा बाबा (टेम्पररी रथ) जाता है तो मुकर्रर रथ शंकर/राम वाली आत्मा फिर से स्टेज पर आ जाती है; इसलिए मुरलियों में टेम्पररी रथ और मुकर्रर रथ दो प्रकार के रथों की बात आई है –

शिवजयंती भी मनाई जाती है तो ज़रूर यहाँ आते हैं ना! जयंती तो ज़रूर साकार मनुष्य मनुष्य की होगी। ज़रूर वह आत्मा किस शरीर में प्रवेश करते हैं। प्रकृति का आधार लेते हैं। नया शरीर नहीं लेते हैं। (मु.ता. 22.3.69 पृ.2 आदि) जयंती मनाई जाती है साकार की, निराकार की जयंती नहीं होती है। शिव मुकर्रर रूप से जिसमें प्रवेश करते हैं, उसके शरीर का अन्तत: नाश नहीं होता है। ब्रह्मा बाबा के शरीर का तो नाश हो गया। 


यह रथ (कायमगंज में) कायम ही रहता है, बाकी का ठिकाना नहीं है। यह तो मुकर्रर है ड्रामा अनुसार। इनको कहा जाता है भाग्यशाली रथ। तुम सबको तो भाग्यशाली रथ नहीं कहेंगे। भल किसमें बाबा आता है; परन्तु भाग्यशाली रथ एक कहा जाता है। (मु.ता. 26.8.69 पृ.3 मध्य) मुकर्रर रथ को ही भाग्यशाली रथ कहेंगे; क्योंकि वो एक ही भगवान का रथ है। ब्रह्मा बाबा को कायमी रथ नहीं कहेंगे; क्योंकि उनका साकार शरीर सदाकाल के लिए छूट गया। उनको भाग्यशाली रथ भी नहीं कहेंगे; क्योंकि अन्य सभी प्राणियों के समान नश्वर है, इसलिए बाबा ने बोला- बाकी का तो ठिकाना नहीं।

ब्रह्मा के साकार पार्ट की समाप्ति और अन्य पार्ट का आरम्भ होना। (अ.वा.ता. 28.5.77 पृ.183 अंत)

ब्रह्मा बोले ब्राह्मणों की वृद्धि तो यज्ञ समाप्ति तक होनी है; लेकिन साकारी सृष्टि में, साकारी रूप से मिलन मेला मनाने की विधि, वृद्धि के साथ-2 परिवर्तन तो होगी ना! लोन ली हुई वस्तु (टेम्पररी रथ) और अपनी वस्तु (मुकर्रर रथ) में अंतर तो होता ही है। ......अपनी वस्तु को जैसे चाहे वैसे कार्य में लगाया जाता है।  (अ.वा.ता. 5.4.83 पृ.118 मध्य) ऐसे नहीं कि ब्रह्मा बाबा ने शरीर छोड़ा तो अभी ब्राह्मणों की वृद्धि नहीं होगी, ज़रूर कोई और रथ के द्वारा वृद्धि होनी है जो मुकर्रर रथ होगा, लोन लिया हुआ नहीं; क्योंकि ब्रह्मा बाबा टेम्पररी लोन लिए हुए रथ थे; इसलिए शिवबाप उनके द्वारा जैसा चाहे वैसा पार्ट नहीं बजा सकते। वो तो मृदुल स्वभाव के थे; परन्तु मुकर्रर रथ तो अपना ही है; इसलिए उनके द्वारा सर्व संबंधों का, हर प्रकार का पार्ट बजाते हैं।

शिवबाबा कहते हैं- यह (रथ) हमारा नहीं है, यह हमने उधार लिया है। (मु.ता. 16.4.71 पृ.1 आदि) ब्रह्मा बाबा के रथ की बात है। 

बच्चों का सारा अटेन्शन जाता है शिवबाबा तरफ। वह तो कब बीमार पड़ नहीं सकते। वह चाहे तो ब्रह्मा तन से नहीं तो और कोई अच्छे बच्चे द्वारा भी मुरली चला सकते हैं। (मु.ता. 17.1.70 पृ.1 आदि) ब्रह्मा बाबा के शरीर छोड़ने के बाद मुरली चलाने का कार्य बंद नहीं हो सकता है, वो ज़रूर किसी के द्वारा फिर मुरलियाँ चलाते हैं।



Copyright © 2025 by AIVV All rights reserved.