ब्रह्मा बोले ब्राह्मणों की वृद्धि तो यज्ञ समाप्ति तक होनी है; लेकिन साकारी सृष्टि में, साकारी रूप से मिलन मेला मनाने की विधि, वृद्धि के साथ-2 परिवर्तन तो होगी ना! लोन ली हुई वस्तु (टेम्पररी रथ) और अपनी वस्तु (मुकर्रर रथ) में अंतर तो होता ही है। ......अपनी वस्तु को जैसे चाहे वैसे कार्य में लगाया जाता है। (अ.वा.ता. 5.4.83 पृ.118 मध्य) ऐसे नहीं कि ब्रह्मा बाबा ने शरीर छोड़ा तो अभी ब्राह्मणों की वृद्धि नहीं होगी, ज़रूर कोई और रथ के द्वारा वृद्धि होनी है जो मुकर्रर रथ होगा, लोन लिया हुआ नहीं; क्योंकि ब्रह्मा बाबा टेम्पररी लोन लिए हुए रथ थे; इसलिए शिवबाप उनके द्वारा जैसा चाहे वैसा पार्ट नहीं बजा सकते। वो तो मृदुल स्वभाव के थे; परन्तु मुकर्रर रथ तो अपना ही है; इसलिए उनके द्वारा सर्व संबंधों का, हर प्रकार का पार्ट बजाते हैं।