आज दुनिया की अधिकतर आबादी मेण्टल टेन्शन की बीमारी से ग्रसित है। जिसका इलाज किसी मनुष्य के पास नहीं है। कुछ शताब्दी पूर्व भी आत्मा की स्मृति मनुष्यों को थी; इसलिए आत्मा की स्मृति में मातायें बिन्दी और भाई लोग तिलक लगाते थे । फिर आज विदेशी संस्कृति के मानसिक दास होने के कारण आज हम उस स्मृति को भूल गए हैं और यही कारण बन गया है अशांति का; इसलिए सिर्फ अपने को आत्मा समझना है । आत्मा समझने से ही हमारे अंदर शक्ति आती है। आत्मिक चिन्तन में जितना हम रहेंगे, उतना हमारी प्रकृति, हमारे स्वभाव-संस्कार स्वत: ही सात्विक बन जाएँगे।