ज्ञानियों, महात्माओं और दार्शनिकों ने पुरातन समय से ही मनुष्य के जन्म से पूर्व और मृत्यु के बाद के रहस्यों को जानने का बहुत प्रयास किया है। चूँकि इस्लाम और क्रिश्चियन धर्मों में आत्मा के पूर्व जन्मों को मान्यता नहीं दी गई है; इसलिए उन धर्मखण्डों के साहित्य या धार्मिक पुस्तकों में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं की गई है; किंतु भारत में पूर्वजन्म की मान्यता सदियों से रही है; इसलिए इससे सम्बंधित ग्रंथों या पुस्तकों की कोई कमी नहीं है; किंतु केवल एक भूल के कारण भारतवासी अपने स्वर्णिम इतिहास और विश्व की अनेक सभ्यताओं और धर्मों के उद्भव एवं विकास में अपने योगदान को भूल गए हैं। वह भूल है देह-अभिमान के कारण यह समझना कि आत्मा 84 लाख योनियों में जन्म लेती है। फिर भी भगवान के अवतरण एवं मनुष्यों के पूर्वजन्मों को मान्यता देने के कारण ही भारत आज शिव भगवान की कर्मभूमि बना है। ... For more information, to click link below