आज के समस्याओं भरे युग में मनुष्य को अपने जीवन के लक्ष्य का पता नहीं है। वैज्ञानिक आविष्कारों के चलते मनुष्य ने कल्पनातीत प्रगति की है; लेकिन फिर भी वह सन्तुष्ट नहीं है। आधुनिक शिक्षा मानव को डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, वैज्ञानिक, नेता या व्यापारी तो बना देती है; किन्तु उसे सच्ची एवं स्थायी सुख-शान्ति की प्राप्ति नहीं करा सकती। अल्पकालिक सुख-शान्ति पाने की जल्दबाज़ी में मनुष्य या तो विषय विकारों में फँस जाता है या फिर भौतिक सुखों से विरक्त होकर संन्यासी बन जाता है; किन्तु सच्ची सुख-शान्ति, न तो विषय विकारों से और न ही संन्यास से प्राप्त होती है। वह तो केवल गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए, ईश्वरीय ज्ञान एवं राजयोग द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। इसी सच्ची सुख-शांति एवं पवित्रता से परिपूर्ण जीवन का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री लक्ष्मी और श्री नारायण एवं उनकी दिव्य रचना को ही इस चित्र में चित्रित किया गया है। दादा लेखराज ब्रह्मा द्वारा दिव्य साक्षात्कारों के आधार पर बनवाए गए चार मुख्य चित्रों में यह लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी शामिल है। इस चित्र में वर्तमान मनुष्य-जीवन के लक्ष्य अर्थात् ‘नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी’ को चित्रित किया गया है। ... For more information, to click link below