ऋषभदेव श्वेत वस्त्र धारण करते थे परंतु भागवत में उल्लेख है- ऋषभदेव वस्त्र त्यागकर सर्वथा दिगम्बर हो गये। शिव की नग्न नटराज-रौद्ररूप की मूर्तियाँ व चित्र आदि भी मिलते हैं। इस कारण उन नग्न मूर्तियों को सनातन धर्म के अनुयायी शिव-शंकर की बताते हैं तो जैन धर्म वाले उन्हें ऋषभशिव की बताते हैं। प्रतीत होता है कि जैन धर्म कोई अलग से धर्म नहीं है। ऋषभदेव का जिक्र सनातन धर्म के शास्त्रों में भी किया गया है। सनातन धर्म और जैन धर्म में समानतायें भी मिलती हैं, जो निम्नलिखित हैं:-