सृष्टि की आयु


इस सृष्टि की आयु आज किसी को पता नहीं, कोई लाखों वर्ष कहते हैं, कोई करोड़ों, कोई अरबों वर्ष कहते हैं और वैज्ञानिक तो अभी तक सृष्टि की आयु पर रिसर्च भी पूरी नहीं कर पाए। इस सृष्टि की आयु लाखों वर्ष नहीं; बल्कि प्रमाणित रूप से 5000 वर्ष है। जैसे यह पृथ्वी निरंतर घूमती रहती है; इसलिए दिन और रात होती है, ऐसे ही सृष्टि की आयु 5000 वर्ष है, जो कि एक कल्प, एक साइकिल के समान है, जो निरंतर घूमता है। जिसमें आधा समय है 2500 वर्ष ‘स्वर्ग’ और 2500 वर्ष आधा समय है ‘नर्क’। जिन स्वर्ग और नर्क का गायन भी हर धर्म में है।
प्रमाण सहित जानिए 
ब्रह्म वैवर्त पुराण के चौथे खण्ड 129 गोलोकारोहणम श्लोक 50
“कलेः पंचसहस्त्राणि वर्षाणि तिष्ठ भूतले। पापानि पापिनो यानि तुभ्यं दास्यन्ति स्नानत:।।”
अर्थात् भगवान ने कहा गंगा को बताते हुए कि पृथ्वी पर 5000 साल का काल गुज़रने पर पापयुक्त और पापी होंगे, तुम में स्नान करके अपने पापों को देंगे; परंतु शास्त्रकारों ने इसकी गलत व्याख्या करते हुए कलियुग को 5000 बता दिया, जबकि श्लोक में ‘कलियुग’ शब्द नहीं आया है।
श्रीमद्भगवतगीता के 16वें अध्याय का 6वाँ श्लोक भी यह प्रमाणित करता है-
द्वौ भूतसर्गौ लोके अस्मिन् देव आसुर एव च। 16/6
हे पृथ्वीराज! इस दिन-रात जैसी सुख-दुख की दुनिया में प्राणियों की सृष्टि दो प्रकार की ही है- स्वर्गीय दिन में देवताओं की और नारकीय रात में लेवताओं-जैसे राक्षसों की। मुसलमानों में जन्नत और दोजख कहते हैं। क्रिश्चियन हेल और  हैविन कहते हैं।
जैनियों में शुरुआत के 3 आरे सतयुग-त्रेता रूपी स्वर्ग के सूचक हैं और बाद के 3 आरे द्वापर-कलियुग नर्क के सूचक हैं।
सृष्टि की आयु अगर लाखों-करोड़ों वर्ष होती तो हिस्ट्री सिर्फ 2500 वर्ष की क्यों है? और खुदाइयों में 5000 वर्ष से अधिक पुरानी कोई वस्तु क्यों नहीं मिली है? विश्व विख्यात सबसे पुरानी सभ्यता मोहनजोदड़ो 4600 वर्ष, हड़प्पा 5000 वर्ष, ग्रीस-मैसोपोटामिया 3000 BC; इनमें से कोई भी 5000 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं है।


हरिवंश पुराण :-
“तथा वर्षसहस्त्रं तु वर्षाणां द्वेशते तथा। संध्यया सहसंख्यातं क्रूरं कलियुगं स्मृतम्।।” (2-8-14)

अर्थात् क्रूर कलियुग अपनी 200 वर्षों की संध्या के साथ 1000 वर्षों का बताया गया है।
  महाभारत वनपर्व :-
सहस्त्रमेकं वर्षाणां ततः कलियुगं स्मृतम्।
तस्य वर्षशतं सन्धिः संध्यांशश्च ततः परम्।।
सन्धिसंध्याशयोस्तुल्यं प्रमाणमुपधारय। (188-25,26)

कलियुग की आयु 1000 वर्ष, 100 वर्ष उसकी संध्या और 100 वर्ष ही संध्यांश के बताए गए हैं।
“लोकांना मनुजव्याघ्र प्रलयं त विदुर्बुधाः। अल्पावशिष्टे तु तदा युगान्ते भरतर्षभ।।
   सहस्त्रान्ते नराः सर्वे प्रायशोऽनूतवादिनः।” (188-29, 30)
अर्थात् हज़ार वर्ष बीतने पर कलियुग के अंत भाग में जब थोड़ा समय शेष रह जाता है, उस समय तक प्रायः सभी मनुष्य मिथ्यावादी हो जाते हैं, उसी समय को विद्वान लोग लोकों का प्रलयकाल मानते हैं।
इन सभी श्लोकों में 1250 वर्षीय कलियुगी आयु के पक्के प्रमाण हैं, जो चारों युग अथवा चार सीन समान आयु के ही होते हैं।
मुसलमानों की चौदहवीं सदी के अनुसार भी सृष्टि की आयु पूरी हो चुकी है।
क्रिश्चियन्स कहते हैं- ‘‘3000 ईअर्स बिफोर क्राइस्ट वॉज़ हैविन ऑन अर्थ।’’
अर्थात् यह 16 कला सतयुगादि की बात है जब कृष्ण का राज्य था; इसलिए जीसस ने कहा- ‘‘अवर फादर हू आर्ट इन हैविन हैलोड बी ‘दाय नेम’, द नेम ऑफ गॉड वॉज़ कृष्णा।’’
‘‘क्रिश्चियन लोग भी कहते हैं- क्राइस्ट से 3000 वर्ष पहले स्वर्ग था।’’ (मु.ता. 05.05.1973 पृ.2 आदि)
यह प्रमाणित करता है क्राइस्ट को 2000 वर्ष हुए और क्राइस्ट से 3000 वर्ष पूर्व सृष्टि पर स्वर्ग शुरू हुआ था। कुल सृष्टि की आयु 5000 वर्ष ही है। लाखों, करोड़ों वर्षों की बात का तो कोई एक भी प्रमाण नहीं है, ना ही सभी धर्मों के अनुसार, ना हिस्ट्री के अनुसार। इस 5000 वर्ष के कालचक्र में 4 युग होते हैं- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग और सभी युग की आयु 1250 वर्ष है। सृष्टि के इस चक्र को स्वस्तिका अर्थात् चार आरों के रूप में दिखाया गया है। जो सिर्फ सनातन धर्म ही नहीं; अपितु अन्य धर्म और संस्कृति में भी मिलता है।

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