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संक्षिप्त परिचय

2-4-10 मिनट के लिए भी जिससे ज्ञान की बात हो जाए उसको दे सकते हैं। इस किताब में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का इतिहास शॉर्ट में दिया गया है।
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सिंहावलोकन

इसमें आध्यात्मिक विश्वविद्यालय द्वारा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की स्थापना तथा विद्यालय की दिनचर्या, क्रियाविधियों, जीवनशैली और विद्यालय की गतिविधियों को जाना जा सकता है।
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विश्व-नवनिर्माण की अनूठी ईश्वरीय योजना छोटी+बड़ी

इस पुस्तक में ऐसी अनूठी ईश्वरीय योजना का वर्णन चित्रों सहित किया गया है, जिसके आधार पर हम यह जान सकते हैं कि यह दुनिया नर्क से स्वर्ग कैसे बन सकती है!
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श्रीमद्भगवद्गीता

विश्व का सर्वोत्तम प्राचीन ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ जीवनदर्शन का आधार मानी जाती रही है। जो वर्तमान में ‘भारतीय धर्मग्रंथ’ के रूप में सम्मानित होने के लिए भी अग्रसर है; परन्तु क्या इस विशिष्ट धर्मग्रंथ की परस्पर विरोधात्मक अनेक टीकाएँ जनमानस का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगी/करने में समर्थ हो सकेंगी? वास्तव में वर्तमान में मुख्य आवश्यकता है इसके मूल भावदर्शन की। ‘भीमद्भगवत गीता’ का यह संस्करण अपने मूलरूप में ही है। स्वयं गीतापति भगवान का यह प्रस्तुतीकरण जहाँ संस्कृत शब्दों के मूल अर्थों पर आधारित है तो वहीं हम सभी के जीवन शैली को वास्तविक अर्थ देने में भी सक्षम है और भविष्य में गीता ही सम्पूर्ण सेवा का आधार बनेगी। गीता में आए हुए ढेर श्लोकों से ही यह साबित होता है कि गीता का भगवान निराकार है, अभोक्ता है, अजन्मा है, न कि कोई कलाओं में बंधायमान साकारी मनुष्य या देवता।



गीता का भगवान कौन
निराकार शिव-शंकर या साकार कृष्ण उर्फ़ ब्रह्मा

यह पुस्तक सुलझा सकती है यह पहेली कि सर्वशास्त्र शिरोमणी श्रीमद्भगवदगीता के रचयिता अर्थात् भगवान कौन हैं - साकारी ‘श्रीकृष्ण उर्फ ब्रह्मा’ अथवा निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी परमपिता-परमात्मा शिव-शंकर भोलेनाथ ?
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गीता का भगवान कलाओं में बन्धायमान कृष्ण+चन्द्र माँ नहीं, कलातीत ज्ञान-सूर्य साकार-निराकार का जीता-जागता मेल शिवबाबा (लिंग-रूप) है

इसमें अन्य शास्त्रों तथा गीता के आधार पर सिद्ध किया गया है कि गीता ज्ञानदाता शिव-शंकर भोलेनाथ ही हैं।

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त्रिमूर्ति तिरंगा झण्डा

दुनिया तो समझती है कि कोई कपड़े का तिरंगा झण्डा है, जिसने सारे विश्व के ऊपर विजय पाई; लेकिन कपड़े़ का झण्डा कैसे विश्व के ऊपर विजय प्राप्त कर सकता है? ये तो ब्रह्मा-विष्णु-शंकर तीन स्थूल शरीर रूपी चैतन्य वस्त्र हैं, जिन्होंने सारे विश्व के ऊपर विजय प्राप्त की थी।



थीसिस (शोधग्रंथ)

इस शोधग्रंथ में जैन ग्रंथों और भारतीय शास्त्रों के अनुरूप सृष्टि के नग्न-स्वरुप आदि पुरुष का परिचय दिया गया है
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