आज समय का बहुत महत्व है और मनुष्य धन कमाने में इतना व्यस्त है कि ईश्वर को जानने या पहचानने के लिए उसके पास समय नहीं है। कभी ये विचार करने का भी विचार नहीं आता है कि इतने मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारों में चक्कर लगाने पर भी सुख-शांति जीवन में क्यों नहीं है। सुबह से शाम तक जानवरों की तरह कर्म करके धन अर्जित करने पर भी जीवन तनावग्रस्त क्यों है? जिसका कारण है अपने मूल स्वरूप को ही भूल गए हैं और दैहिक सुख ही सर्वोपरि हो गया है। चारों तरफ अन्धकार इतना छा गया है कि ज्ञान प्रकाश का दीपक भी नजर नहीं आ रहा है । आज दुनिया में मुख्य 10 धर्म हैं, सभी अपने अनुसार भगवान के रूप को समझते हैं और पूजते हैं; परन्तु ऐसे नहीं है कि भगवान कोई अलग-2 होता है। भगवान तो एक ही है, जो सभी धर्मों में मान्य है । ना ही हर धर्म के जन्नत/स्वर्ग/पैराडाइज या दोजख/नरक/हेल अलग-अलग है। आज अन्तरिक्ष या चंद्रमा तक मनुष्य जा चुका है, ना वहाँ कोई देवी-देवता मिले ना स्वर्ग/जन्नत मिला है, ना ही नीचे कोई पाताल है।