‘पाति’ शब्द से बना है पति। जिसका अर्थ होता है ‘रक्षक’। महाभारत प्रसिद्ध द्रौपदी की कहानी से तो आप अच्छे से परिचित होंगे। पति कहे जाने वाले पाँच पाण्डव क्या द्रौपदी की रक्षा कर पाए? अगर कर पाए होते तो भगवान को आने की ज़रूरत नहीं थी। हमारा भारत देश जहाँ स्त्री के सम्मान के लिए लोग बड़े-2 युद्ध लड़ जाते थे, आज उसी देश में माताओं-कन्याओं की चीर के ऊपर पल-2 खतरा बढ़ता जा रहा है और समाज और सरकार इसको रोक नहीं पा रही है। इसलिए स्वयं भगवान परमपिता परमात्मा सुप्रीम सोल शिव, भारत की चैतन्य ह्यूमन-गऊओं की रक्षा करने के लिए पति-परमेश्वर बनकर आए हैं। इसलिए उनको भक्तिमार्ग में ‘गोपाल कन्हैया’ भी कहा जाता है। ये स्थूल जानवर गऊओं की बात नहीं है, ये भारत की ही सीधी-सादी सरल स्वभाव वाली कन्याओं-माताओं की बात है। जिनको उनके परिवार वाले जिस खूँटे से बाँध देते हैं, जीवनभर उसी खूँटे से बँध करके रहती हैं। डायवोर्स देने की तो बात ही नहीं। भगवान से हमारा एक सम्बन्ध नहीं है; लेकिन सर्व सम्बंध हैं। कहते भी हैं ना- ‘‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव सर्वं मम देव-2।’’ ये कोई स्थूल दैहिक सम्बंध की बात नहीं है, ये तो आत्मिक चिरस्थाई सम्बन्ध की बात है।